उत्तर प्रदेश में रबी सीजन के फसल की पड़ताल का समय शुरू हो चुका है, एक बार फिर कड़ाके की ठंड में खेतों की मेड़ पर हाथ में मोबाइल लेकर दौड़ता हुआ लेखपाल नजर आने वाला है।
इस बार GPS की रेंज हुई जीरो
पिछली खरीफ पड़ताल में जहां GPS की रेंज 150 मीटर थी वहीं राजस्व परिषद ने इस बार रेंज घटाकर शून्य मीटर कर दी है, अर्थात अब लेखपाल खेत के अंदर घुसकर पड़ताल करने वाले हैं। इसके साथ ही आबादी क्षेत्र में लेखपालों को किसी के घर तो किसी के चहारदीवारी में घुसकर पड़ताल करना होगा।

जूते पड़ने के हैं आसार।
ऐसे में यदि लेखपाल पड़ताल के लिए किसी के निजी मकान और चहारदीवारी में घुसे तो उनके साथ मारपीट से इनकार नहीं किया जा सकता है, पिछले पड़ताल में कुछ पंचायत सहायक और लेखपालों को आम जनता ने पड़ताल करते देख कुटाई कर दिया था।

पड़तालवीरों से खफा आम लेखपाल।
पिछले खरीफ पड़ताल में कुछ पड़तालवीरों ने एक ही दिन में एक हजार से लेकर दो हजार गाटा पड़ताल करके नया नया कीर्तिमान बनाया था, राजस्व परिषद ने भी प्रतिदिन टॉप 10 सर्वेयर की लिस्ट जारी कर पड़तालवीरों के हौसलों को उड़ान दी थी, इस बार रेंज घटने से आम लेखपाल उन पड़तालवीरों को कोस रहे हैं जिन्होंने धुंआ धार पड़ताल किया था, रेंज घटने को पड़तालवीरों द्वारा किए गए कांड का परिणाम माना जा रहा है।

कई जनपदों में खरीफ पड़ताल का नहीं मिल सका मानदेय
एक गाटा की पड़ताल के लिए 5 रुपए की धनराशि निर्धारित है जिसका पिछले पड़ताल का भुगतान भी अभी तक बजट के आभाव में अधिकांश जनपदों में नहीं हुआ है, वैसे पुराने लेखपालों को लेटलतीफी से मानदेय मिलने की आदत पड़ गई है, लेकिन 2024 बैच के नए लेखपाल जिन्होंने खरीफ पड़ताल में पूरे मन से पड़ताल किया था, मानदेय न मिलने से खासे निराश हैं, एक नए लेखपाल ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि यदि मानदेय मिल जाता तो अबकी बार हम रोज 500 गाटा का पड़ताल कर डालते, सीनियर लेखपालों को पड़ताल का मौका ही न देते।
बहुत अच्छा शब्दो से व असलियत से अपनी बात रखा गया है